पंगा लेने की नहीं, देखने की जरूरत है, इमोशनली स्ट्रॉन्ग है कंगना रनोट की फिल्म

‘पंगा’ शब्द सुनते ही सबसे पहले मन में लड़ाई-झगड़े की बात आती है। लेकिन जब बात फिल्म ‘पंगा’ की आती है, तब ‘पंगा’ लेने की नहीं, देखने की जरूरत है, क्योंकि अश्विन अय्यर तिवारी निर्देशित यह बड़ी खूबसूरत फिल्म बन पड़ी है। दरअसल, अश्विनी स्टाइल में बनी यह ऐसी फिल्म है, जिसमें इमोशन, वूमन इंपॉवरमेंट और पारिवारिक जद्दोजहद से ऊपर उठकर एक महिला सपने पूरा करने की बात कहती है।


ऐसी है पंगा की कहानी 




  1.  


    फिल्म की कहानी सादी-सिंपल है। कहानी के मुताबिक, भोपाल की जया निगम (कंगना रनोट) कबड्‌डी खेल में अव्वल हैं, जिसके चलते उन्हें रेलवे में नौकरी मिल जाती है। यहां उन्हें प्रशांत श्रीवास्तव (जस्सी गिल’) से प्यार और उसके बाद उनसे शादी हो जाती है। इनके जीवन में बेटा आदि सचदेवा (यज्ञ भसीन) आता है। पति और बेटे के खातिर जया अपना सपना पीछे छोड़ देती हैं। लेकिन सात साल बाद जया जब एक बार फिर अपना सपना पूरा करना चाहती हैं, तब उनके सपने को पूरा करने के लिए बेटा और पति बखूबी साथ देते हैं। जया का यह सपना कब, कैसे पूरा होता है, यह तो फिल्म देखने के बाद पता चलेगा। लेकिन फिल्म देखते समय इसकी कहानी के साथ दर्शक हंसने-रोने और इमोशन में बहते चले जाएंगे, यह तो तय है।


     




  2.  


    फिल्म के स्ट्रांग पहलू की बात की जाए, तब सही मायने में फिल्म का हीरो बाल कलाकार यज्ञ भासिन है, जिसका अभियन और संवाद अदायगी दर्शकों के दिल को छू जाती है। बालपन और मासूमियत के साथ उसकी डायलॉग डिलवरी और पंचिंग न सिर्फ कहानी को मार्मिक बनाती है, बल्कि दर्शकों को इमोशनल कर देती है। फिल्म में कंगना रनोट के छलकते आंसू से कहीं ज्यादा यज्ञ भसीन और जस्सी गिल के असरदार संवाद दर्शकों को इतना भावुक कर जाते हैं कि पलकें बरबस नम हो जाती हैं। दोनों की अदाकारी कमाल की है। बेशक, नीना गुप्ता, राजेश तैलंग जैसे मझे कलाकार अपनी सर्पोटिव किरदार से फिल्म को चार चांद लगाते हैं। वहीं ऋचा चड्‌ढा की उम्दा अदाकारी एक बार फिर दर्शकों को तालियां बजाने के लिए मजबूर करती है।


     




  3.  


    बात जब स्क्रीन प्ले और डायलॉग की आती है, तब इस फिल्म का कोई सानी नहीं है। जब-जब फिल्म में खेल और देशभक्ति की बात कही जाती है, तब-तब ओवर एक्सप्लोर दिखाया जाता रहा है। लेकिन ‘पंगा’ में नेशनल कबड्‌डी प्रतिस्पर्धा में ऐसा बिल्कुल नहीं है। फिल्म में अगर कमजोर पहलू पर नजर डालें, तब खेल में गहरा रुझान रखने वाले ही कंगना के टीम में सिलेक्शन और खेल में कुछ नियमों पर जरूर खामियां निकाल सकते हैं, लेकिन एक काल्पिनिक मनोरंजक फिल्म होने के नाते इस पर ध्यान देना उचित नहीं होगा। वहीं, फिल्म का नाम ‘पंगा’ तो है, पर सीधे तौर पर कोई किसी से पंगा लेते दिखाई नहीं देगा, बल्कि खेल प्रतिस्पर्धा, पारिवारिक नोक-झोंक जरूर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेगा। फिल्म में शंकर-एहसान-लॉय का म्यूजिक कमाल का है। सिचुएशन के हिसाब से फिल्म के गाने- ‘दिल ने कहा...’, ‘जुगुनू...’ और टाइटल ट्रैक कर्णप्रिय बन पड़े हैं। कुल मिलाकर फिल्म की हर खूबी को देखते हुए 5 स्टार में से यह फिल्म 4 स्टार की हकदार है।




Popular posts
9 बजे, 9 मिनट के लिए रौशन हुआ महाराष्ट्र, लाइटें बंद कर लोगो ने जलाया दीया, मोमबत्ती
Image
कोरोना संक्रमण रोकने में प्रदेश टॉप 10 में; अब सरकारी राशन दुकानों से सैनिटाइजर और मास्क भी बेचे जाएंगे
सेना के संदेशवाहकों की दिलेरी का बेहतरीन दस्तावेज है सैम मैंडेस की फिल्म '1917'
33 नए संक्रमित; मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में 26 नर्स और 3 डॉक्टर पॉजिटिव, 270 कर्मचारियों की जांच कराई जा रही
Image