सेना के संदेशवाहकों की दिलेरी का बेहतरीन दस्तावेज है सैम मैंडेस की फिल्म '1917'

इस बार के ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ में मौजूद और गोल्डन ग्लोब्स बेस्ट फिल्म अवॉर्ड विजेता '1917’ मूल रूप से पहले विश्वयुद्ध में जर्मन सेनाओं के हिडेनबर्ग लाइन से पीछे हटने की कहानी है। सेना के संदेशवाहकों की दिलेरी का बेहतरीन दस्तावेज है। उस जमाने में सैनिकों ने आर्मी ट्रेंच यानी खंदकों से जंग लड़ी थी। उन ट्रेंचों से बाहर हजारों सैनिक शहीद हो गए थे। 


इसे अपनी पहली ही फिल्म 'अमेरिकन ब्यूटी’ के लिए ऑस्कर जीत चुके सैम मेंडेस ने डायरेक्ट किया है। सैम की ख्याति जेम्स बॉन्ड सीरिज की 'स्काईफॉल’ और 'स्पेक्टर’ जैसी फिल्मों के लिए भी रही है। '1917’ की कहानी उनके दादा की है। वे अंग्रेजी फौज में संदेशवाहक के तौर पर तैनात थे।


फिल्म मूल रूप से दो अंग्रेज संदेशवाहक सैनिकों ब्लेक और स्कोफील्ड के सफर पर केंद्रित है। उन्हें पैदल एक बेहद महत्वपूर्ण चिट्ठी को पश्चिमी मोर्चे से आखिरी छोर तक सुबह होने से पहले पहुंचाना है। सफर काफी कठिन है। उन्हें उन खंदकों, मैदानी इलाकों, जंगलों से होकर गुजरना है, जिसके चप्पे चप्पे पर जान का खतरा है। 


कहने को तो जर्मन फौजें युद्ध क्षेत्र को खाली कर चुकी हैं, पर असल में उनकी वह साजिश है। वे चाहते हैं कि उस मुगालते में 1600 से ज्यादा ब्रितानी फौजों की टुकड़ी उन पर हमला बोलें और जर्मन सबको नेस्तनाबूत कर दें। अब संदेशवाह ब्लेक और स्कोफील्ड जर्मन की साजिश से अपने फौजी साथियों को बचा पाती है कि नहीं, फिल्म उस बारे में है।


ब्लेक का रोल डीन चार्ल्स चैपमैन ने प्ले किया है। 'गेम ऑफ थ्रोन्स’ के चलते वे पहले ही खासे मशहूर रहे हैं। उनकी अदाकारी में लियोनार्डो डि क्रैप्रियो की स्टाइल ऑफ एक्टिंग की झलक दिखती है। संदेशा पहुंचाना उसके लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि वेस्टर्न फ्रंट के अंतिम छोर पर उसके लेफ्टिनेंट भाई की जान खतरे में है। अपने साथी संदेशवाह स्कोफील्ड के साथ वह जिन राहों से गुजरता है, वहां हजारों सैनिकों की लाशें बिछी हुई हैं। वे डेड बॉडीज चूहों का निवाला बन रही हैं। इन सबके बीच उसकी समझदारी और हाजिरजवाबी बनी रहती है। स्कोफील्ड की जान भी वह बचाता है।


फिल्म के सधे हुए स्क्रीनप्ले को शानदार कैमरा वर्क और असरदार बैकग्राउंड स्कोर का साथ मिला है। तीनों ने मिलकर असरदार प्रभाव पैदा किया है। आसपास केवल फौजियों का कारवां है। इसके बावजूद कहानी कहीं भी बोझिल नहीं है। तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही होती है। जंग के चलते युद्ध प्रभावित क्षेत्रों की जो दुर्गति होती है, उसे माहिर सिनेमेटोग्राफर रॉजर डिकन्स ने कैमरे में बखूबी कैप्चर किया है।


एक क्लैस्टरफोबिक यानी दम घुटने वाली फीलिंग आती है। बीच एक गांव में जर्मन के जंगी जहाज के जलकर गिरने का शॉट है। जैसे 'बर्डमैन’ में सभी किरदारों को सिंगल टेक में शूट किया गया था, सैम मेंडेस यहां भी वैसा कर पाने में सफल हुए हैं।


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